क्या संसार में कहीं का भी आप एक दृष्टांत उद्धृत कर सकते हैं जहाँ बालकों की शिक्षा विदेशी भाषाओं द्वारा होती हो। - डॉ. श्यामसुंदर दास।
 

चार हाइकु  (काव्य)

Author: तपेश

जूते ठाट के -
जैसे बड़े लाट के,
आज के राजे।

झूठ, सफ़ेद -
हो या कि कजरारे ,
वारे ही न्यारे!

ऊंचे मकान,
लगते बियवान!
लोग नहीं हैं !!

बर्दी बेदर्दी,
कहर बरपाए,
हद कर दी।

- तपेश
ई-मेल: tapeshbhowmick@gmail.com

 

Back

 
Post Comment
 
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश